Sunday, March 23, 2025
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कानपुर में बड़ा फर्जीवाड़ा, अरबों की 82 बीघा सरकारी जमीन बेच डाली, FIR

उत्तर प्रदेश के कानपुर में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। केडीए ने जांच कराई तो फर्जीवाड़ा खुल गया। सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कराया गया। केडीए के विशेष कार्याधिकारी ने चकेरी थाने में…

कानपुर में चकेरी के देहली सुजानपुर में अरबों की सरकारी जमीन हड़पकर बेचने का बड़ा खेल सामने आया है। खुद ज्ञान नगर सहकारी आवास समिति का तथाकथित सचिव बनकर शातिर ने पहले सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कराया। फिर कई लोगों को 82 बीघा 12 बिस्वा जमीन को बेच दिया। केडीए ने जांच कराई तो फर्जीवाड़ा खुल गया। केडीए के विशेष कार्याधिकारी ने चकेरी थाने में फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

चकेरी थाने में केडीए के विशेष कार्याधिकारी प्रवर्तन जोन चार बृजेंद्र उपाध्याय ने दहेजी सुजानपुर पीएसी रोड निवासी अवध बिहारी यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें कहा गया कि 82 बीघा 12 बिस्वा जमीन 1348 फसली में बंजर ग्राम सभा की भूमि के रूप में दर्ज थी।

कुछ व्यक्तियों व समितियों ने भूखंड को कूटरचित तरीके से जमीन को अपने नाम पर दर्ज करा लिया। अवध बिहारी यादव ने बंजर भूमि पर धोखाधड़ी करके ज्ञान नगर सहकारी आवास समिति के तथाकथित सचिव बनकर कई व्यक्तियों को बेच दिया। केडीए की अरबों रूपये की सरकारी जमीन को अवैध तरीके से बेचकर कब्जा कराया गया। इस बाबत चकेरी इंस्पेक्टर ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज की गई है।

अमीन के फर्जी हस्ताक्षर करके ली एनओसी
केडीए में अमीन के फर्जी हस्ताक्षर करके पहले दो फर्जी एनओसी जारी की गई। फिर उसकी फर्जी हस्ताक्षर वाली एनओसी को सही मानकर नक्शा पास कराया गया। अमीन की तहरीर पर स्वरूप नगर थाने में फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज की गई है। केडीए के अमीन संतोष कुमार ने स्वरूप नगर थाने में मकड़ीखेड़ा के विसायकपुर निवासी जगन्नाथ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक जगन्नाथ ने नक्शा स्वीकृत कराने के लिए अमीन के फर्जी हस्ताक्षर करते हुए दो अनापत्ति प्रमाण-पत्र भवन विभाग को प्रस्तुत कर दिया। भवन विभाग ने फर्जी हस्ताक्षर वाली एनओसी को सही मानते हुए अपलोड करके नक्शा स्वीकृत कर दिया। नक्शा जारी करके निर्माण किया जा रहा था। डीसीपी सेंट्रल दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि अमीन के हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया है। दोषी को गिरफ्तार करके कार्रवाई होगी।

चढ़ गया नाम, बिक गई जमीन पता ही नहीं लगा

सरकारी 82 बीघा और 12 बिस्वा जमीन को फर्जीवाड़ा करके बेच दिया गया। इसके बावजूद केडीए और सदर तहसील के अफसरों को भनक तक नहीं लगी। शातिरों ने सेटिंग करके सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कराकर पहले सरकारी जमीन में अपना नाम दर्ज करवाया। फिर समिति के सचिव के रूप में पूरी जमीन को बारी-बारी करके बेच दिया। जमीन बिकने के बाद केडीए को रिपोर्ट दर्ज कराने की याद आई है।

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