Wednesday, September 11, 2024
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दिल्ली की स्वास्थ सुविधाओं पर विवाद क्यों?

राखी सरोज

कोरोनावायरस जिसने पूरे विश्व की कमर तोड़ दी है। इससे लड़ने के लिए प्रत्येक देश अपनी स्वास्थ सुविधाओं पर निर्भर है ऐसे में जब भारत की बात करते हैं तब एक बहुत बड़ी आबादी के लिए हमारे पास पास सुविधाएं उपलब्ध नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों की बात ना भी करें तब भी हम यह पाते हैं कि प्रत्येक शहर में केतु स्वास्थ सुविधा उपलब्ध नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति को करीब में ही उचित इलाज मिल सके।

वह निजी अस्पताल जिन पर हमारी सरकार स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने का मौका समझ मुफ्त में जमीन और बहुत सी सुविधाएं उपलब्ध करवातीं है। वह निजी अस्पताल केवल पैसे कमाने की सोच रखते हैं या आज सभी के सामने प्रस्तुत हो चुका है। इस मुसीबत के समय में जिस प्रकार से निजी हस्पताल मरीजों का इलाज करने से इंकार कर रहे हैं या फिर अपनी सुविधा अनुसार इलाज कर रहे हैं और उसके लिए बहुत ही अधिक रकम मरीजों द्वारा वसूली जा रही है। यह बहुत ही दुखदायक स्थिति है एक ओर जहां हमारे पास सरकारी अस्पताल की संख्या बहुत ही कम होने के साथ हीकेवल कुछ बड़े-बड़े शहरों में ही अच्छी स्वास्थ सुविधाएं उपलब्ध हैं। दूसरी ओर वह निजी अस्पताल जिन पर हमारी सरकार ने भरोसा कर उन्हें प्रत्येक मदद इस सोच के साथ उत्पन्न करवाई थी की जरूरत के समय पर वह आम जनता के काम आएंगे।

प्रत्येक दिन किसी ना किसी शहर से क्रोना वायरस या किसी अन्य बीमारी के चलते हैं अस्पतालओं की लापरवाही और लालच की तस्वीर सामने नजर आ रही है। कहीं किसी बुजुर्ग की मौत, कहीं किसी गर्भवती महिला और उसके बच्चे कब जन्म से पहले ही इस दुनिया से नाता टूटने की खबर। हमें एहसास करवाने लगी है कि हमारी इंसानियत मर चुकी है। अब बस लालच और स्वार्थ ही बाकी है, अब हम केवल अपने लाभ की बात करेंगे।

अधिकतर शहरों में इलाज सही इलाज ना मिलने के कारण लोगों को उन शहरों में जाना पड़ता है। जहां इलाज की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध है जैसे दिल्ली। किंतु यदि पूरे देश के लोगों को दिल्ली के अस्पतालों में आकर इलाज करवाने से रोकने का प्रयास किया जाए तब क्या होगा।

वर्तमान समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा कानून बनाया गया कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना काल तक केवल दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा। जिसके चलते राजनीति का बाजार गर्म हो गया और सभी सरकारें दिल्ली के मुख्यमंत्री के इस फैसले का विरोध करने लगीं। सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तर्क भी दिए। यह बतलाने के लिए की क्यों यह फैसला ग़लत है। किन्तु आपातकाल की स्थिति में राज्य सरकार इस प्रकार के कानून बना सकती है कह कर दिल्ली की सरकार ने अपने पक्ष को सही बताया। दिल्ली सरकार के इस कानून पर एलजी ने रोक लगा दी। जिसके बाद दिल्ली में पूरे देश के नागरिकों का इलाज हो सकेगा।

इन सब के बीच एक जरूरी सवाल सामने आता है कि हम एक विश्व शक्ति बनने का सपना देखते हैं किंतु हमारे सभी राज्यों में नागरिकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है वह स्वास्थ सुविधाओं के लिए किसी अन्य राज्य पर निर्भर है। हमारी सरकारों द्वारा चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं। भाषण रेलियों में नई-नई योजनाओं का एलान होता है। किन्तु असल में हमारी राजनीति पार्टियों द्वारा नागरिकों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी करने की कोशिश नहीं की जा रहे हैं। कई अस्पतालों का ऐलान जरूर होता है भाषण रेलियों में। किन्तु उन पर काम कागजों में ही होता है। असल में पूरे होने में सालों का समय भी कम पड़ जाता है।

यदि इस वक्त से हम कुछ सीखें और अपने देश के प्रत्येक राज्य में अच्छी स्वास्थ सुविधाओं के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर ना रह कर। सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधारें। साथ ही हर जगह पर बैंकों की तरह अस्पतालों की स्थिति पर काम कर स्वास्थ सुविधाएं अच्छी कर लें। फिर हमें देश में आने वाली किए भी बीमारी से कोई डर नहीं रहेगा। साथ ही हमें परेशानी के समय में आज की तरह फैसले लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

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