Tuesday, January 14, 2025
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दूसरों की सेहत संवारने में अपना जीवन समर्पित करतीं आशा कार्यकर्ता

कोविड-19 की लड़ाई में उर्मिला निभा रहीं  बड़ी ज़िम्मेदारी

औरैया -“गाँव में जो लोग बाहर से आये हैं उन्हें कहाँ क्वारेंटाइन किया गया है इसका भी नियमित  फालोअप कर रहे हैं । रोजाना 30-35 घरों तक पहुँचते  हैं। लोगों को  बचाव की जानकारी भी देते हैं और फार्मेट भी भर लेते हैं। हर दिन की  रिपोर्ट आशा संगिनी  को भेजनी पड़ती है,” यह कहना है भाग्यनगर ब्लाक के बनारपुर गाँव की आशा कार्यकर्ता उर्मिला देवी का।

उर्मिला इस वक़्त वायरस के बढ़ते खतरे और चढ़ते हुए पारे में भी पूरे जोश के साथ प्रवासियों की जानकारी लेने और लोगों को कोरोना के प्रति जागरुक करने में जुटी हैं।  वह कहती हैं हम इतने लोगों से मिलते हैं,  न जाने कौन कोरोना से संक्रमित हो। लेकिन अब इससे डर तो नहीं सकते। एक-डेढ़ महीने के लिए घर भी नहीं छोड़ सकते।  आते ही बच्चों व पति से मिले बिना सबसे पहले ख़ुद को सैनिटाइज़ करते हैं। ऐहतियात बरत रहे हैं।  मास्क से लेकर दूरी तक, सब,  फिर भी ‘आशा’ कायम है।

उर्मिला बताती हैं कि वह वर्ष 2007 से आशा कार्यकर्ता के पद पर काम रही हैं । उस समय पति की मानसिक हालत ठीक न होने के कारण घर में आर्थिक तंगी थी । तीन  बेटियों और दो  बेटों के भरण पोषण के लिए ज़रूरी था की घर में पैसा आये। ऐसे में उन्हे आशा कार्यकर्ता की भर्ती के बारें में गाँव की एएनएम दीदी से पता चला, सास ससुर की नाराजगी के बाद भी उर्मिला ने आवेदन किया और चयनित होकर कार्य करने लगी, अब एक बेटी की शादी करने के बाद पति की हालत में काफी सुधार हुआ है। अब उनके पति भी मजदूरी करते हैं और दोनों की आमदनी से घर चलता है।

वह बताती है कि वर्ष 2009 से अभी तक वह  210 महिलाओं का प्रसव करवा चुकी हैं। आम दिनों की अपेक्षा अब समय मुश्किल भरा है। कोरोना का संक्रमण गाँव में न फैले, इसके लिए बाहर से आए प्रवासियों की जानकारी इकट्ठा कर रही हूँ। उनके  क्षेत्र में अब तक 30 प्रवासी आए हैं, जिनकी लिस्ट बनाकर सीएचसी स्तर पर जमा कर दी है।

उर्मिला जनपद की तमाम आशा कार्यकर्ताओं में से एक हैं जो ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की महत्वपूर्ण रीढ़ हैं। उर्मिला की तरह जनपद की सभी आशा कार्यकर्ता इस समय अपने-अपने गाँव की पल-पल की खबर स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचा रही हैं जिससे इस वायरस के संक्रमण से ज्यादा लोग प्रभावित न हो सकें। लोगों को कोरोना के प्रति जागरुक कर रही है। इतना जरूर है कि आशा अब लोगों के घर के अन्दर नहीं जाती। कोरोना संक्रमण के चलते बाहर से ही जानकारी देकर चली आती है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिबियापुर के ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक ज़मीर का कहना है कि कोरोना  के बढ़ते मरीजों के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर निगरानी को बढ़ाया जा रहा है ताकि संभावित या संक्रमित मरीजों का पता लगाकर उन्हें तुरंत क्वारंटाइन किया जाए। वह प्रवासियों की निगरानी के लिए गठित ग्राम एवं शहरी निगरानी समितियों की सदस्य के रूप में बाहर से आने वालों और होम क्वारंटाइन किये गए लोगों पर भी नज़र रख रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं के बिना समुदाय में काम करना मुमकिन नहीं है।

*स्वास्थ्य व्यवस्था की महत्वपूर्ण रीढ़ हैं जनपद की 1266 आशा कार्यकर्ता*

जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक अजय ने बताया कि कोरोना को हराने में जागरुकता सबसे बड़ा हथियार है और आशा कार्यकर्ता इसमें विशेष रूप से सहयोग कर रही हैं। वर्तमान में जनपद में 1266 आशा कार्यकर्ता कार्य कर रही हैं। कोविड-19 को लेकर इन सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तथा ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है। व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए इन्हें मास्क और सैनीटाइज़र भी दिया गया है।

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