Friday, February 7, 2025
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नहीं रहे शिया धर्मगुरु और अरबपति आगा खान चतुर्थ, पुर्तगाल में 88 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

शिया धर्मगुरु और दिग्गज अरबपति आगा खान चतुर्थ नहीं रहे। पुर्तगाल में 88 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनको मोहम्मद पैगंबर वंश का प्रत्यक्ष वंशज माना जाता था। आगा खान फाउंडेशन और इस्माइली धार्मिक समुदाय ने एलान किया कि उन्होंने दुनिया के सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की चुनौतियों के समाधान के लिए काम किया।

शिया धर्मगुरु और दिग्गज अरबपति आगा खान चतुर्थ नहीं रहे। पुर्तगाल में 88 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनको मोहम्मद पैगंबर वंश का प्रत्यक्ष वंशज माना जाता था। आगा खान फाउंडेशन और इस्माइली धार्मिक समुदाय ने एलान किया कि आगा खान चतुर्थ के उत्तराधिकारी को उनकी वसीयत में नामित किया गया है। जिसे लिस्बन में उनके परिवार और धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में बताया जाएगा। हालांकि इसकी तारीख की घोषणा नहीं की गई है।

आगा खान फाउंडेशन ने एक्स पर लिखा कि शिया इस्माइली मुसलमानों के 49वें वंशानुगत इमाम और पैगंबर मोहम्मद के वंशज प्रिंस करीम अल-हुसैनी आगा खान चतुर्थ का 88 वर्ष की आयु में अपने परिवार के बीच लिस्बन में निधन हो गया। उनके नामित उत्तराधिकारी की घोषणा बाद में की जाएगी। आगा खान चतुर्थ ने दुनिया के सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए मानव, वित्तीय और तकनीकी संसाधनों को एक साथ लाने के लिए 1967 में आगा खान फाउंडेशन की स्थापना की थी। यह फाउंडेशन अफ्रीका, एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका के 18 देशों में काम करता है। आगा खान फाउंडेशन उनके परिवार और दुनिया भर के इस्माइली समुदाय के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है।

जेनेवा में हुआ था जन्म
इस्माइली समुदाय की वेबसाइट ने कहा कि आगा खान चतुर्थ का जन्म 13 दिसंबर 1936 को स्विट्जरलैंड के जेनेवा के पास क्रेक्स-डी-गेंथोड में हुआ था। वे जोआन यार्डे-बुलर और एली खान के बेटे थे। उन्होंने अपने बचपन का कुछ हिस्सा केन्या के नैरोबी में बिताया। उन्होंने घुड़सवारी का शौक था। उन्होंने स्कीयर के रूप में 1964 के शीतकालीन ओलंपिक में ईरान का प्रतिनिधित्व किया। आगा खान लंबे समय तक फ्रांस में रहे और पिछले कई वर्षों से पुर्तगाल में रह रहे थे। उनका विकास नेटवर्क और फाउंडेशन स्विट्जरलैंड में स्थित है। उनके तीन बेटे और एक बेटी और कई पोते-पोतियां हैं।

दादा ने बनाया था उत्तराधिकारी
आगा खान विकास नेटवर्क ने बताया कि आगा खान के दादा ने उनके पिता को दरकिनार करके शिया इस्माइली मुसलमानों के प्रवासी समुदाय का नेतृत्व करने के लिए अपना उत्तराधिकारी बनाया था। तब आगा खान छात्र थे। उनके दादा का कहना था कि उनके अनुयायियों का नेतृत्व एक ऐसे युवा व्यक्ति को करना चाहिए जिसका लालन-पालन नए युग के बीच हुआ हो। आगा खान चतुर्थ एक व्यवसायी और परोपकारी व्यक्ति थे। वे उन्होंने हावर्ड से स्नातक की उपाधि ली थी।

दयालु वैश्विक नेता: ट्रूडो
उनके निधन की सूचना के बाद यूरोप और मध्य पूर्व के समुदायों में शोक की लहर दौड़ गई। इस दौरान उनकी ओर से विकसित संगठनों ने शोक जताया। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने उन्हें एक असाधारण दयालु वैश्विक नेता और अपना बहुत अच्छा दोस्त बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लोगों को उनकी बहुत याद आएगी। जुलाई 1957 में आगा खान चतुर्थ को महारानी एलिजाबेथ ने महामहिम की उपाधि दी थी। वह 19 अक्टूबर 1957 को तंजानिया के दार एस सलाम में उसी स्थान पर आगा खान चतुर्थ बने थे जहां एक बार उनके दादा को अपने अनुयायियों ने उपहार में अपने वजन के बराबर हीरे दिए थे।

दादा की सेवा के लिए छोड़ दी थी पढ़ाई
बताया जाता है कि शिया धर्मगुरु के दादा आगा खान तृतीय जब बीमार पड़ गए थे तो आगा खान चतुर्थ ने हावर्ड में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी और दादा की सेवा करने आ गए थे। 18 महीने बाद वे वापस स्कूल लौटे थे। साल 2012 में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि मैं एक स्नातक था और जानता था कि उनके शेष जीवन में मेरा काम क्या होगा। मुझे नहीं लगता कि मेरी स्थिति में कोई और तैयार होता। वे इस्लामी संस्कृति और मूल्यों के रक्षक थे। उन्हें व्यापक रूप से मुस्लिम समाज और पश्चिम के बीच पुलों के निर्माता के रूप में माना जाता था।

सामाजिक विकास के लिए किया काम
आगा खान चतुर्थ ने सामाजिक विकास के लिए काफी काम किया। उन्होंने एक परोपकारी संगठन आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क की स्थापना की। यह संगठन स्वास्थ्य सेवा, आवास, शिक्षा और ग्रामीण आर्थिक विकास के मुद्दों के लिए काम करता है। यह संगठन 30 से अधिक देशों में काम करता है और इसका वार्षिक बजट लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। आगा खान चतुर्थ के नाम पर गरीब लोगों के इलाज के लिए बांग्लादेश, तजाकिस्तान और अफगानिस्तान में अस्पताल बनाए गए। यहां की अर्थव्यवस्था के विकास पर भी उन्होंने करोड़ों डॉलर खर्च किए।

इस्माइली समुदाय के नेता थे
आगा खान चतुर्थ इस्माइली समुदाय के नेता थे। यह समुदाय मूल रूप से भारत में केंद्रित था। बाद में पूर्वी अफ्रीका, मध्य और दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में बड़े समुदायों तक फैल गया। यह समुदाय अपनी आय का 12.5 प्रतिशत हिस्सा देता है। एक साक्षात्कार में आगा खान ने कहा था कि हमारे पास धन संचय करने की कोई धारणा नहीं है। इस्लामी नैतिकता यह है कि अगर ईश्वर ने आपको समाज में एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति होने की क्षमता या सौभाग्य दिया है, तो समाज के प्रति आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।

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