Wednesday, September 11, 2024
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नाग पंचमी पर प्राचीन परंपरागत तरीके से हुई गुड़ियों की जमकर धुलाई

मन्नाइस्लाम/आजम मन्सूरी.
जहानाबाद(फ़तेहपुर) गुड़ियों का यह त्योहार लगभग हजार साल पुराना है । नाग पंचमी का त्योहार वैसे तो हर साल देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है । लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे मनाने का ढंग अनूठा है । श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को इस त्योहार पर राज्य में गुड़िया पीटने की अनोखी परम्परा है । इस परम्परा के प्रारम्भ की एक कथा इससे से जुड़ी हुई है । तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई थी तथा तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में व्याही गई । उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बताकर उससे इस बारे में किसी को भी न बताने के लिए कहा ,लेकिन महिलाओं से जुड़ी कहावत कि महिलाओं के पेट मे बात नही रुकती यहाँ वही कहावत चरितार्थ हो गई । उस महिला ने दूसरी महिला को यह बात बता दी। और उसने भी यह राज दूसरी महिला से न बताने के लिए कहा , लेकिन धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई । तक्षक के तत्कालीन राजा ने इस रहस्य को उजागर करने पर नाराज होकर नगर की सभी कड़कियो को नगर के चौराहे पर इकट्ठा करके कोड़ो से पिटवाकर मरवा दिया । तथा राजा इस बात से क्रुद्ध हो गया कि औरतों के पेट मे कोई बात नही पचती । और तभी से नाग पंचमी पर गुड़ियों के पीटने की परम्परा चली आ रही हैं इस दिन लोग आपने घरों में नाग देवता की पूजा करते हैं । तथा नागदेवता को दूध पीने के लिए रखते हैं । तथा नाग के दर्शन करना इस दिन शुभ माना जाता है।

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