UGC Guidelines: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए है।
उच्च शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों को अब पढ़ाई के साथ छात्रों की शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक सेहत का भी ख्याल रखना होगा। यह जिम्मेदारी प्रोफेसर स्तर के डीन या डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों की होगी। कैंपस में छात्र सेवा केंद्र (SSC) खुलेंगे। फिजिकल फिटनेस और मेंटल हेल्थ पर काम होगा। मनोविशेषज्ञ स्ट्रेस दूर और इमोशनल स्पोर्ट पर काम करेंगे। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी केस को गोपनीय रखना होगा। खास बात है कि सभी भाषाओं, धर्मो, सामाजिक विविधता का सम्मान सुनिश्चित और समलैंगिक पर खास ध्यान देना होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC Guidelines) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए पहले दिशा-निर्देश तैयार किए है।
छात्र सेवा केंद्र में सिंगल विंडो, हर छात्र का रिकॉर्ड
छात्र सेवा केंद्र होने पर एनआईआरएफ, नैक व एनबीए कुछ अंक या ग्रेड दे सकते हैं। यह सिंगल विंडो होगा। इसका प्रबंधन मनोविज्ञान, शारीरिक शिक्षा और खेल, मनोचिकित्सा, सामाजिक कार्य या समाजशारूत्र जैसे विषयों के प्रोफेसर के पद के बराबर निदेशक या डीन स्तर के अधिकारी करेंगे। यदि किसी कॉलेज या संस्थान में ये विषय नहीं हैं , तो अन्य विश्वविद्यालय के विभागों के साथ मिलकर कर सकते हैं।
सेंटर में महिला-पुरुष प्रोफेशनल ट्रेंड काउंसलर होंगे। यहां शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शारीरिक-मनोवैज्ञाानिक के मूल्यांकन के लिए उपकरण भी रखने पड़ेंगे। केंद्र में ऑनलाइन, ग्रुप काउंसलिंग के साथ टेलीफोन पर भी परामर्श मिलेगा।
शारीरिक गतिविधि की स्कोरिंग जरूरी, तभी जाएंगे अगले सेमेस्टर में
शारीरिक गतिविधि क्रेडिट सिस्टम का हिस्सा होगा। शारीरिक गतिविधि में भागीदारी और स्कोरिंग का मूल्यांकन अगले सेमेस्टर में जाने के लिए होगा। पाठ्यक्रम में मेंटल हेल्थ कोर्स जुड़ेंगे और पढ़ाई पर क्रेडिट मिलेंगे। फिलहाल, अभी दो फीसदी छात्र ही खेलों से जुड़ते हैं। इसलिए शिक्षण संस्थानों को इस पर ध्यान देना होगा, ताकि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिल सके। खेल परिषद, शिक्षा विभाग और योग विभाग निगरानी करेंगे। छात्रों को जीवनशैली से मोटापे, मधुमेह जैसी बीमारियों से लेकर अवसाद या तनाव से बचाना जरूरी है।
एम्स, निमहंस संग मानसिक स्वास्थ्य पेशवरों को करेंगे तैयार
उच्च शिक्षण संस्थानों को निमहंस, एचबीएएस, रिनपास, एम्स से समझौते करने होंगे। जहां विशेष औषधीय हस्तक्षेप, अन्य चिकित्सा हस्तक्षेप की जरूरत होने पर मनोचिकित्सा विभाग पूरी तरह कार्यात्मक हो। देश में प्रशिक्षित और सक्ष्म मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की भारी कमी है। भारतीय पुर्नवास परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक है। इसलिए यूजीसी, एआईसीटीई और एमसीआई प्रावधानों और दिशा-निर्देशों के अनुसार पेशेवरों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं।