उत्तर प्रदेश के बागपत जिला जेल के जेलर रहे जितेंद्र कश्यप पर एक महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पीड़िता जिला जेल में तैनात है। आरोप है कि उसके साथ जेलर ने बलात्कार की कोशिश की थी। इस मामले में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
उत्तर प्रदेश के बागपत जिला जेल के जेलर रहे जितेंद्र कश्यप पर एक महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पीड़िता जिला जेल में तैनात है। आरोप है कि उसके साथ जेलर ने बलात्कार की कोशिश की थी। इस मामले में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। पुलिस जांच में जुट गई है।
खेकड़ा थाना प्रभारी कैलाश चंद्र ने बताया कि महिला जेल अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई लिखित शिकायत के आधार पर मंगलवार को मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपी को अभी हिरासत में नहीं लिया गया है। शिकायतकर्ता की मेडिकल जांच पूरी हो चुकी है। उनका बयान अदालत में दर्ज कराया जाएगा। जिला जेल से सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जाएगी और आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतकर्ता के अनुसार, जिला जेल अधीक्षक विष्णुकांत मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद जितेंद्र कश्यप को अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। 1 जनवरी को जितेंद्र ने उसे अधीक्षक कार्यालय में बुलाया. उसके साथ अनुचित व्यवहार किया। उसका यौन उत्पीड़न करने का प्रयास किया। इस मामले में महानिदेशक कारागार द्वारा गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को निलंबित कर दिया गया है।
जेल प्रशासन ने इसके बाद जेलर शैलेश सिंह, जो पहले बरेली सेंट्रल जेल में तैनात थे, को बागपत जिला जेल में नियुक्त किया है। इस मामले में एसपी विजयवर्गीय का कहना है कि महिला अधिकारी की तहरीर पर खेकड़ा थाने में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस घटना के बाद पुलिस महकमें में महिला सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगा है।
बताते चलें कि विश्व बैंक ने महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने वाली और शहरी इलाकों में 88 फीसदी महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, जबकि केवल 1 फीसदी ही पुलिस से इसकी शिकायत करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई में आधी से ज्यादा महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं।
इनमें से 6 फीसदी ही केस दर्ज करवाती है। पुणे में 63 फीसदी महिलाओं को इसका सामना करना पड़ता है, जबकि 12 फीसदी महिलाएं ही आपबीती की शिकायत करने का साहस जुटा पाती हैं। वहीं मुंबई में केवल 2 फीसदी पीड़ित महिलाएं ही पुलिस के पास शिकायत करने पहुंचीं। हालांकि इनमें से कोई भी पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुआ। मुंबई में ट्रेन में सफर करने वाली महिलाओं में से 75 फीसदी को विमिन हेल्पलाइन नंबर ही नहीं पता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेस पर यौन उत्पीड़न के मामले ज्यादा पाए गए, लेकिन ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग बहुत कम हुई या जिन लोगों ने केस दर्ज भी कराया, उनके मामलों में कार्रवाई निराशाजनक रही। कुछ महिलाओं ने डर के कारण किसी को इसकी जानकारी नहीं दी। उनका कहना था कि वह इस मामले में कोई तमाशा नहीं खड़ा करना चाहती थीं।