कानपुर मर्ज जब ठीक हो जाए तो निश्चित ही मरीज के लिए डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं होते। डॉक्टरी मेरे लिए महज पेशा नहीं। पुण्य कमाने का वह अवसर है, जो ईश्वर ने मुझे दिया है। मरीजों की सेवा करने से जो संतोष मिलता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यह सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक ऐसा अहसास है, जिसे मै जी रहा हूँ। यह कहना है जिला अस्पताल के जिरियाट्रिक विभाग में मेडिसिन सलाहकार के पद पर तैनात डा. मनीष कुमार सिंह का।
कोरोना काल में जनसेवा का जो मौका मिला उसके लिए डॉ मनीष कोविड-19 के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन पर रह कर अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं। महामारी देश-दुनिया के लिए संकट है तो डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ समेत तमाम मेडिकल बिरादरी भारी दबाव के बावजूद बिना माथे पर कोई शिकन लाए मोर्चे पर डटे हैं।
डॉक्टर बनने का कब आया सपना
डा. मनीष जब छोटे थे तब अपनी मां को हार्ट पेशेंट होने की वजह से छटपटाते देखना बर्दाश्त नहीं होता था। तभी उनका सपना था कि डॉक्टर बनकर वह बीमारियों का अंधकार छांटने की कोशिश करेंगे।
उनका वह सपनाअब पूरा हो गया है और मिशन में पूरे दिल से जुटे डॉ मनीष कहते हैं, “मुझे याद आता है कि मेरी मां बहुत कमजोर हुआ करती थीं | 14 साल की उम्र में जब माँ की दिल की बीमारी का आपरेशन दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ तब पूरा परिवार बस डॉक्टर को ही भगवान् मान बैठा था। ऑपेरशन सफ़ल हुआ और उसी समय मैने ठान लिया की अब मुझे भी डॉक्टर ही बनना है। मैंने इसके लिए काफी मेहनत की और डॉक्टर बनने के सपने को पूरा किया।
आज डा. मनीष स्वास्थ्य विभाग का अहम हिस्सा हैं। वह कोरोना से निपटने के लिए एक योद्धा के तौर पर 24 घंटे लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। लोगों के इलाज के साथ-साथ अस्पताल आने वालों को कोरोना संक्रमण से जागरूक रहने की ताकीद भी कर रहे हैं। वह कानपुर जिले के कल्याणपुर कस्बे के मूल निवासी हैं। वर्ष 2017 में उनका चयन चिकित्साधिकारी के पद पर हुआ और कानपुर जिला अस्पताल में तैनाती हुई। डॉ मनीष की पत्नी डॉ राशि जैन भी जनपद कानपुर देहात के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र शामली में स्त्री रोग विशेषज्ञ है। वह बताती हैं कि किसी की मदद करने या काम आने में, ड्यूटी के रूप में भी जरूरतमंदों की सेवा में जो संतुष्टि मिलती है किसी और प्रोफेशन में नहीं मिल सकती।
स्वास्थ्य सेवा के लिए ड्यूटी के दौरान डा. मनीष मरीजों का इलाज तो करते ही हैं, साथ ही अगर मरीज उनके फोन पर मैसज कर समस्या बताते हैं तो वह प्राथमिकता से उसका जवाब देते हैं। वह बताते हैं तीन माह पहले कोरोना के मरीज काफी कम थे तब भी लोगों का डर काफी ज्यादा था। वर्तमान की बात करें तो अब मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है लेकिन लोगों का डर कम हो गया है और जागरूकता अधिक आ चुकी है।
जिला पुरुष अस्पताल के हॉस्पिटल प्रबंधक डॉ फैज़ल का कहना है कि अपनी ड्यूटी को लेकर डॉ. मनीष सिंह बहुत ही जिम्मेदार हैं। लेकिन कोरोना काल में उनका सहयोग बहुत ही सराहनीय है।