Monday, May 12, 2025
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योगी सरकार अब नजूल की जमीन पट्टे पर नहीं देगी, विधानसभा में अहम विधेयक पारित

उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रबंधन एवं उपयोग) विधेयक-2024 विधानसभा में भारी विरोध के बीच पारित हो गया। इस विधेयक का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2 विधायकों और सीएम योगी के समर्थक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने विरोध किया, इसके अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों ने वेल में आकर इस विधेयक का विरोध किया और इसे जनविरोधी बताया।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब नजूल की जमीन किसी को पट्टे पर नहीं देगी। इसके अलावा पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद पट्टेदार को बेदखल कर दिया जाएगा और नजूल की जमीन वापस ले ली जाएगी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रबंधन एवं उपयोग) विधेयक-2024 विधानसभा में भारी विरोध के बीच पारित हो गया।

इस विधेयक का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2 विधायकों और सीएम योगी के समर्थक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने विरोध किया, इसके अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों ने वेल में आकर इस विधेयक का विरोध किया और इसे जनविरोधी बताया।

सभी विरोधों को दरकिनार करते हुए योगी सरकार ने अपने बहुमत के बल पर विधानसभा में इस विधेयक को पारित करा लिया। उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रबंधन एवं उपयोग) विधेयक-2024 सोमवार को सदन में पेश किया गया था। इसके बाद से ही सदन के मानसून सत्र में इस विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बहस चल रही थी।

बुधवार को योगी सरकार के इस विधेयक का प्रतापगढ़ से भाजपा विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्षवर्धन बाजपेयी ने विरोध किया। इन विधायकों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को आवास दे रहे हैं और आप लोगों को बेघर करने के लिए यह विधेयक ला रहे हैं। इसी तरह जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख और कुंडा विधानसभा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि अधिकारियों ने नजूल भूमि को लेकर सरकार को गलत फीडबैक दिया है।

विपक्ष की मांग थी कि सरकार इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजे, लेकिन विधेयक पर मतदान के दौरान इसे खारिज कर दिया गया। इस विधेयक का विरोध करते हुए कई विपक्षी विधायक सदन में धरने पर बैठ गए।

कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने भी विधेयक को वापस लेने की मांग की, लेकिन सरकार ने सभी के विरोध को नजरअंदाज करते हुए संख्या बल के आधार पर इसे सदन में पारित करा लिया।

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