Thursday, March 27, 2025
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विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर प्रोफेसर व उनकी पत्नी से बदसलूकी l

भगत सिंह

बांदा :- कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मैं विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे भ्रष्टाचार में जांच के घेरे में चल रहे विश्वविद्यालय के कुलपति अभी जांच से बाहर ही नहीं निकले प्रोफेसरों के साथ ही विश्वविद्यालय के कुछ लोग गुटबंदी के चलते हमलावर होते दिखाई दे रहे हैं l हाल ही में पिछले दिनों एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने अपने साथ प्रशासनिक अधिकारी के समक्ष हुई अपमानजनक घटना की सूचना कुलपति को लिखते हुए तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है बताते चलें कि विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक 2 व 3 नवंबर 2020 को रवी कार्यशाला का आयोजन किया गया था l जिसमें मुख्यालय के बाहर के अलावा अन्य जिलों में कार्यरत अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को भी अपनी कार्य योजना के साथ प्रस्तुत होने के लिए निर्देश दिए गए थे l इसी क्रम में फसल अनुसंधान केंद्र में कार्यरत सह प्राध्यापक भी मुख्यालय में उपस्थित हुए थे और अपने पूर्व में आवंटित आवास में ही रुके हुए थे l दिनांक 3 नवंबर 2020 को मीटिंग समाप्त होने के पश्चात फसल शोध केंद्र में कार्यरत डॉ, ए,के त्रिपाठी अपनी पत्नी के साथ रात्रि में भोजन करने हेतु शहर गए थे और करीब 11:00 बजे रात मे शहर मुख्यालय से लौट कर विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश कर अपने आवास जा रहे थे तभी बीच में ही निदेशक प्रशासन डॉ,बी,के सिंह के साथ तीन अज्ञात लोगों ने जबरन गाड़ी रुकवाई l निदेशक प्रशासन के साथ तीनो लोग अपना मुंह ढके हुये और हाँथ में डंडा लिये हुए थे उन तीनों ने गाड़ी के बोनट में डंडा मारा और धमकी दी कि यदि आवास खाली नहीं करोगे तो इसका अंजाम भुगतने को तैयार रहना l डॉ त्रिपाठी की पत्नी भी साथ में थी और किसी अनहोनी घटना को रोकने एवं मान सम्मान बनाए रखने के लिए डाक्टर त्रिपाठी वहां से अपने घर अपनी जान बचाकर चले गए सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार निदेशक प्रशासन ने कुलपति से सांठगांठ कर डॉक्टर त्रिपाठी का नियम विरुद्ध स्थानांतरण मुख्यालय परिसर से बाहर फसल शोध केंद्र गुरसराय में अक्टूबर 2019 को करवा दिया था और तब से निरंतर उनका आवास खाली करवाने के अनेकों कुत्सित प्रयास करते चले आ रहे हैं l अपने साथ हुए अन्याय एवं उत्पीड़न के विरोधी मैं डॉ त्रिपाठी ने एक प्रार्थना पत्र महामहिम कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश सरकार को धारा 23 में दिया हुआ है जो विश्वविद्यालय के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया है l कुलपति ने मामले का संज्ञान लेते हुए उपरोक्त कृत्य में शामिल निदेशक प्रशासन को ही 3 सदस्यों की कमेटी जांच हेतु गठित करने की मंजूरी दी जिसके सभी सदस्य या तो डॉ त्रिपाठी के समकक्ष है या उनसे जूनियर l इसके बाद भी डॉ त्रिपाठी को बिना सूचना के ही जांच कमेटी तथ्यों की जांच हेतु गुरसराय पहुंचा गई और जांच करते हुए त्रिपाठी के विषय में अध्यक्ष जांच समिति ने विश्वविद्यालय के व्हाट्सएप ग्रुप में अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए लिखा l जिससे प्रतीत होता है कि कमेटी जांच के द्वारा डॉ त्रिपाठी को दोषी सिद्ध करने में लगी है जिसका प्रतिरोधक डॉ त्रिपाठी ने इसी व्हाट्सएप ग्रुप में दिया l
प्रश्न यह उठता है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षकों में गुट बंदी एवं अनैतिक कार्य करेगा तो फिर समाज के किस समुदाय से नीति पालन एवं सदाचरण की उम्मीद समाज करेगा l विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन के इस कृत्य से पूरा विश्वविद्यालय स्तब्ध एवं क्षोभ में हैं और अतिशीघ्र दोषियों को दंडित करने की मांग कर रहा है l विद्यालय परिवार में ज़ोरों से चर्चा है कि जिसने अपराध किया है वहीं यदि वही कमेटी बनाएगा तो अपने मनमाफिक ही कमेटी बनाएगा और उस पर कोई प्रशासनिक कार्यवाही ना हो यही प्रयास करेगा l इस कमेटी से न्याय मिलने की उम्मीद विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को नजर नहीं आती l जिसके चलते विश्वविद्यालय की मर्यादा व इज्जत तार-तार हो रही है और अब्दुल्ला चैन की बंसी बजा रहा है

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