शिकायतकर्ता ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से जानकारी लेनी चाहिए तो बेसिक शिक्षा अधिकारी उल्टे शिकायतकर्ता को जान से मारने की धमकी तक दे डाली)
रायबरेली जहां एक तरफ योगी सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए नित नए प्रयास कर रही है वहीं दूसरी तरफ अनामिका शुक्ला जैसे प्रकरण सरकार की छवि धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं वही सही रूप से तैनात शिक्षक भी विभाग में भ्रष्टाचार करके अवैध रूप से वेतन ले रहे मामला रायबरेली जिले के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बराडीह विकास क्षेत्र सलोन जनपद रायबरेली की शिक्षिका सरोज कुमारी पुत्री महेंद्र कुमार निवासी शक्तिनगर रायबरेली द्वारा 25 जुलाई 2016 से 5 अगस्त 2016 के बीच का फर्जी जाली मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर अवकाश ग्रहण किया गया है।जाली सर्टिफिकेट की सत्यता डॉक्टर खालिद रिजवान अहमद अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी रायबरेली से अशोक कुमार द्वारा आरटीआई द्वारा पूछा जा चुका है।जिस पर अशोक कुमार द्वारा कई बार शिक्षिका द्वारा वेतन आहरण को लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद प्रकाश शर्मा से लिखी शिकायत भी की गई,शिकायत पर बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा एक माह का वेतन रोका गया।लेकिन विभागीय कार्यवाही ना होने के कारण शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत की गई की, शिक्षिका के खिलाफ 420 का मुकदमा पंजीकृत कराने की लगातार मांग की जा रही है।वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गठजोड़ के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई।उल्टे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद प्रकाश शर्मा से जब शिकायतकर्ता अशोक कुमार ने फोन से वार्ता की तो शिकायतकर्ता को ही शिक्षा अधिकारी द्वारा धमकाया जा रहा है,कि ज्यादा शिकायत करोगे तो तुम्हें जान से भी हाथ धोना पड़ेगा।वही विडंबना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई अगर आवाज उठाता है तो अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेकर उसकी आवाज दबाने की पुरजोर कोशिश की जा जाती है।यह मामला तो एक मात्र बानगी भर है।अगर प्रदेश सरकार मेडिकल की जांच कराई जाए तो सैकड़ों मामले फर्जी पाए जाएंगे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर खंड शिक्षा अधिकारी की संलिपतता जाहिर हो सकेगी।आलम तो यह है शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा जिले में चरम सीमा पर है।और शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्यवाही ना होने से अधिकारियों के और शिक्षकों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।अगर शक्ति से इन के खिलाफ कार्यवाही हो तो इस तरह के फर्जी मामले प्रकाश में नहीं आएंगे। अब सवाल यह है कि शिकायतकर्ता जान माल की सुरक्षा और शिक्षा विभाग के गठजोड़ पर कौन कार्रवाई करेगा यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
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