Monday, April 28, 2025
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हिस्ट्रीशीटर 35 साल से नाम बदलकर कर रहा था होमगार्ड की नौकरी, ऐसे खुली पोल, पकड़ा गया

हिस्ट्रीशीटर नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमे दर्ज है। उसने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में बदलाव कर दिया था। पिछले 35 साल से वह मेहनगर थाने में नौकरी कर रहा था। अब पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक हिस्ट्रीशीटर नाम बदलकर पिछले 35 सालों से लोगों की आंखों में धूल झोंक रहा था। लेकिन अब वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। हिस्ट्रीशीटर नकदू नंदलाल बनकर पिछले 35 सालों से होमगार्ड की नौकरी कर रहा था। जैसे ही उसकी असलियत पता चली उसे सस्पेंड कर दिया गया। जांच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने पर पुलिस ने रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है।

आरोपी नकदू के भतीजे की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण ने जांच कराई थी। जांच में उसके खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, डकैती के कई मामले दर्ज पाए गए। नकदू सितंबर 1989 से लेकर 2024 तक जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी करता रहा. लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।

35 साल से फर्जी नाम पर कर रहा था नौकरी
नकदू के भतीजे नंदलाल ने चाचा के खिलाफ तीन दिसंबर को डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की थी। उसने आरोप लगाया था कि चाचा 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहे हैं। इस पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए। जांच में सामने आया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा के रहने वाले नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था।

नकदू ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मुन्ना यादव की रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद नकदू पर 1987 में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ। फिर बाद में 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई की गई। इसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली गई। जांच में सामने आया कि नकदू यादव कक्षा चार तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा है। कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर साल 1989 में उसने होमगार्ड की नौकरी हासिल की।

नौकरी पाने के लिए बदल डाली पहचान
इतना ही नहीं नकदू ने नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान भी बदल दी। 1990 के पहले तक वह नकदू यादव के नाम से जाना जाता था। लेकिन 1990 में वह नकदू से नंदलाल बन गया. नंदलाल यादव पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई कर हिस्ट्रीशीटर में उसे शामिल कर लिया गया था। इसके बाद भी आरोपी ने सितंबर 1989 को होमगार्ड विभाग जॉइन कर लिया। हैरान करे वाली बात यह है कि हिस्ट्रीशीटर होने के बाद भी तत्कालीन रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस की टीम के प्रभारियों ने आरोपी होमगार्ड के चरित्र प्रमाण पत्र पर सितंबर 1992 में हस्ताक्षर भी कर दिए थे।

पुलिस से कैसे बचता रहा हीस्ट्रीशीटर?
इस मामले में आजमगढ़ के एसपी हेमराज मीना में बताया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र में एक फर्जीवाड़ा कर होमगार्ड की नौकरी करने का मामला सामने आया था। मामले की जांच हुई तो ये सही पाया गया। नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमे दर्ज है। उसने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में बदलाव कर दिया था। पिछले 35 साल से वह मेहनगर थाने में नौकरी कर रहा था। अब पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी किस तरह से पुलिस को चकमा देकर नौकरी करता रहा और अब तक वह पुलिस की पकड़ में क्यों नहीं आया, इसकी भी विभागीय जांच कराई जा रही है। एसपी ने बताया कि आरोपी इस समय जेल में बंद है।

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