लोकतंत्र के महा पर्व में
आयी मत उत्सव की बारी ।
जाति धर्म से ऊपर उठकर
सब की भागीदारी ।।
लोकतंत्र है श्रेष्ठ हमारा
इसकी है मर्यादा।
समता का अधिकार सभी को
नही किसी को ज्यादा ।।
अंतिम पायदान में बैठे लोगो की
सम है हिस्सेदारी।।
सतरंगी सपनें लेकर
आते है हर नेता।
वोट तुम्हारा बड़ा सबल है
भाग्य बदल भी देता ।।
पाँच बरस के बाद अमूमन
आती है ये बारी।।
सब की ताकत से बनती है
लोकतांत्रिक सरकारें ।
जिसका हो विश्वास तंत्र में
वोट उसी को डालें ।।
लोक तंत्र के नए स्रजन में
सब की जिम्मेदारी ।।
वोट की ताकत से बनता है
आम आदमी नेता ।
उसको हरगिज वोट न देना
जो लोगो का हक लेता ।।
गुंडा भ्रष्टऔर माफिया की
वहिष्कार की बारी ।।
जैसे हम त्योहार बनाते
वैसे इसे मनाना ।
कितना भी हो काम जरूरी
वोट डालने जाना ।।
वोट की ताकत दिखलाने की
आयी है फिर से बारी ।।
धीरपाल सिंह
स्वर्ण जयंती विहार कानपुर
लोक तंत्र का महापर्व
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